भोपाल।इच्छाशक्ति और मेहनत के दम पर कमजोर इंसान भी चैंपियन बन सकता है। इसका उदाहरण है तनिष्क आनंद। जिसने ऑटिज्म जैसी बीमारी की दुर्बलता को पछाड़कर अपना और परिवार का सपना पूरे करने के लिए हर संभव प्रयास किया है। तनिष्क ने गत दिनों स्पेशल ओलिंपिक नेशनल टेबल टेनिस चैंपियनशिप में स्वर्ण जीता है। वह एक दिन पहले ही भोपाल लौटे हैं। इससे पहले तनिष्क आनंद स्केटिंग में स्टेट लेवल पर एक रजत और एक कांस्य तथा नेशनल तैराकी में कांस्य जीत चुके हैं।तनिष्क आनंद के खेलों का सफर शहर के एक डॉक्टर की सलाह से शुरू हुआ। दरअसल बचपन से ही ऑटिज्म से पीड़ित तनिष्क को चलने और बोलने में भी परेशानी होती थी। ऐसे में डॉक्टर ने उनके पिता आनंद सुंदरम से तनिष्क से स्केटिंग कराने की सलाह दी, ताकि उनके शरीर का संतुलन ठीक हो सके और चलने-बोलने की परेशानी ठीक हो सके। तब वे महज छह साल के थे। कुछ साल बाद तनिष्क के पिता ने उनका दाखिला स्वीमिंग क्लासेस में कराया। ताकि उनके हाथ-पैर ठीक से चलने लगें। करीब डेढ़ साल पहले टेबल टेनिस के प्रति उनके रुझान को देखते हुए रेड क्लिफ स्कूल के खेल अधिकारी कपिल केवट ने तनिष्क को टेबल टेनिस की ट्रेनिंग दी।बहुमुखी प्रतिभा धनी तनिष्क को रोबोट मैन का खिताब भी मिल चुका है। उनमें फोटो मेमोरी की काबिलियत है। जो चीज एक बार देख ली वह दिमाग में फिट।इतना ही नहीं तनिष्क किसी भी लिखित सामग्री को दोनों तरफ से (दाएं से बाएं और बाएं से दाएं) पढ़ सकते हैं। फिर वह चाहे कोई आर्टिकल्स हो या फिर कोई किताब।