ओबेदुल्लागंज = हर एक मनुष्य को जीवन पर्यन्त इस संसार में अपनी उपयोगिता सिद्ध करने का प्रयास करते रहना चाहिए ! जैसा की हमारे शास्त्र एव ग्रन्थो के अनुसार सम्पूर्ण प्रकर्ति के कण कण में ईश्वर का वास है उसी तरह मानव देह ईश्वर का जीता जागता मंदिर है, चर्म चकसछुओ से भगवान को देखना असंभव है इसीलिए जीवन में शाश्वत भक्ति को पाने का प्रयास कीजिये चोरासीलाख योनियों में से मात्र मनुष्य योनि में परमपिता परमेश्वर को प्राप्त किया जा सकता है, मानव देह पाने के लिए देवीदेवता भी तरसते है क्योंकि यह ईश्वर प्राप्ति का एकमात्र मार्ग है ! परन्तु आज का मानव ईश्वर को अपनी यादों में भी नहीं रखता है ! जबकि मानव देह का एकमात्र लक्ष्य है ईश्वर को प्राप्त करना जीवन एक अवसर है ईश्वर की प्राप्ति का, जिसका सहज मार्ग भक्ति है जिस क्षण भक्ति मानव के हृदय में विराजमान होती है मानव अदभुत आनद में डूब जाता है ! और श्रीमद भागवत कथा के श्रवण से ह्रदय में भक्ति जाग्रत होती है जो मनुष्य को ईश्वर के करीब ले जाती है समस्त शास्त्रों का निचोड़ श्रीमद भागवत में है ! उक्त उदगार संस्कृति एव पर्यटन विभाग द्वारा राजयमंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक श्री सुरेंद्र पटवा की मुख्य यजमानी में नगर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा में शनिवार को दिव्य ज्योति संस्थान से पधारी पूज्य श्री आशुतोष जी महाराज की शिष्या सुश्री आस्था भारती जी ने व्यक्त किये !
कथा के दौरान सुश्री भारती ने श्रोताओ को श्री वेदव्यास द्वारा प्रथम स्कंध में वर्णित भगवान् श्री कृष्ण एव भीष्म पितामह संवाद , ऋषि दधीचि और ब्रह्मऋषि नारद जी संवाद सहित त्रेता युग में रामसेतु निर्माण के दौरान नन्ही गिलहरी के रोचक प्रसंग सुनाकर श्रोताओ को मन्त्र मुग्ध किया वही उन्होंने भीष्म पितामह के अंतिम समय में युधिष्टर को दिए उपदेश का वर्णन करते हुए कहा की देश सेवा से बड़ा कोई वचन कोई संकल्प नहीं होता , देश की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन की आहुति देने वाले शहीद करतार सिंह की फांसी के समय उनके द्वारा कही कविता ' श्वांस का हर सुमन है वतन के लिए यह हमारा नमन है वतन के लिए ' का रोचक प्रसंग सुनाते हुए श्रोताओ को भावविभोर कर दिया !