भोपाल (महामीडिया) निंदा-आलोचना करना जिनके व्यवहार में आ गया है, वे हजारों गुण होने पर भी दोष ढूंढ ही लेते हैं और जिनकी गुणग्रहण की प्रकृति है, वे हजार अवगुण होने पर भी गुण देख लेते हैं, क्योंकि विश्व में ऐसी कोई भी वस्तु या व्यक्ति नहीं है, जो पूर्णत: सर्वगुण संपन्न हो या पूर्णत: गुणहीन हो। एक न एक गुण या अवगुण सभी में होते हैं। मात्र ग्रहणता की
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